एनडीटीवी (NDTV) के अनुसार, जॉर्ज सोरोस और रॉकफ़ेलर ब्रदर्स फ़ंड जैसे लोगों द्वारा वित्त पोषित संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना (ओसीसीआरपी) कथित तौर पर भारत में कुछ कॉर्पोरेट घरानों को बेपर्दा करने की योजना बना रही है.
इंडिया टुडे के अनुसार, टारगेट किए गए कॉर्पोरेट घरानों की पहचान अभी तक बाहर नहीं आई है, लेकिन बाज़ार नियामक स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं.
ऐसी अफ़वाह फ़ैली हुई है कि ओसीसीआरपी (OCCRP) एक रिपोर्ट या लेखों की सीरीज़ पर काम कर रहा है, जो इन कंपनियों के शेयरों में निवेश करने वाले विदेशी फ़ंड के बारे में जानकारी देगा. यह एक ऐसा विषय है जिस पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने तब चर्चा की थी, जब यह आरोप लगाया गया था कि अडानी ग्रुप अपना धन छिपाने के लिए विदेशी संस्थाओं का उपयोग कर रहा है.
ख़ास तौर पर, सेबी ने हाल ही में विदेशी निवेशकों के लिए प्रकटीकरण मानदंडों को कड़ा कर दिया है, जो ओसीसीआरपी (OCCRP) के दृष्टिकोण से आग में घी डालने वाला काम होगा.
पैनी नज़र: जैसा कि पहले भी बताया गया है, यह घटनाक्रम हिंडनबर्ग के ऑडिट में धोखाधड़ी और शेयर मूल्य में गड़बड़ी करने के आरोपों की याद दिलाता है. इस साल की शुरुआत में अडानी ग्रुप द्वारा टैक्स हेवन (Tax Haven) का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया. इस कारण भारी बिकवाली शुरू हो गई, जिससे अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आ गई.
बिज़नेस टूड़े के मुताबिक, जॉर्ज सोरोस ने उस विवाद पर सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी की थी, जिस की आलोचना सत्ताधारी बीजेपी और अन्य पार्टियों ने की थी. इन सभी ने सोरोस और हिंडनबर्ग पर विदेशी हस्तक्षेप करने का आरोप भी लगाया था.
अहम बातें– टाइम्स नाउ के अनुसार, ओसीसीआरपी (OCCRP) एक गैर-लाभकारी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग प्लेटफ़ॉर्म है, जो सोरोस ऑपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन, फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन, रॉकफ़ेलर ब्रदर्स फ़ंड और ओक फ़ाउंडेशन समेत संस्थागत दानदाताओं के साथ मिलकर संगठित अपराध पर रिपोर्टिंग करने में माहिर है.
मेरे विचार:– अगर कोई वास्तव में सत्य की जीत (सत्यमेव जयते) पर विश्वास करता है, तो इस तरह के खुलासों को भारत के ख़िलाफ़ साजिश के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. अगर ये आरोप सच साबित होते हैं, तो इससे न सिर्फ़ सरकारी अधिकारों को मजबूत किया जाएगा, बल्कि भाई-भतीजावाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.