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देश-विदेश भर में भेड़-बकरी पालन से हो रही है लाखों की कमाई, जानिए क्या है इसका पूरा प्रोसेस?

भेड़-बकरी पालन 

भेड़-बकरियाँ, जब हम ये शब्द सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में गांव, देहात, कम-पढ़े लिखे लोग जैसे शब्द घूमने लगते हैं. देश विकासशील हो या विकसित, उस बात से हमें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. हम दूसरों की नादानियों, गलतियों, आरोप-प्रत्यारोपों को भेड़-बकरियों के संदर्भ में गढ़कर खुद को समाज में सर्वोच्च स्थापित करते हैं. यह हम आज से नहीं, बल्कि हज़ारों और लाखों वर्षों से करते आ रहे हैं.
भेड़ -बकरियाँ …बहुत अजीब है ना ये शब्द… वे भेड़-बकरियां जिन्हें मालूम तक नहीं कि जिन इंसानों को वे अपना दूध, मांस, और जीविकार्पोज़न देती है उन्हें ये इंसान वाकई में कम समझ लेते हैं. असल में आज के लोग भेड़-बकरियों की तरह हैं, जो इन्हें अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं.

खैर…जब नाम ही इनका भेड़-बकरियां है, तो हम आज इनकी महत्ता पर चर्चा करते हैं. ये मासूम सी दिखने वाली भेड़-बकरियां जिन्हें दिन भर सिर्फ़ घास और पेड़ों के पत्ते चरने के लिए चाहिए होता है वे हमारे जीवन के लिए बेहद ही उपयोगी है. भेड़-बकरियां हमारे लिए कितनी अहम है और यह हमारे जीवन के लिए कितनी सकारात्मक साबित हो सकती हैं आप इस डॉक्यूमेंट्री के ज़रिए जान सकते हैं. इस डॉक्यूमेंट्री के ज़रिए आप भेड़ और बकरी के पालन, स्वास्थ्य, बाज़ार और उनके व्यापार संबंधी जानकारी पा सकते हैं.

प्राचीन काल से ही भेड़-बकरी पालन किया जाता रहा है. तीन दशक पहले भी प्राय: सभी लोगों के घरों में भेड़-बकरी का पालन होता था. गांव-गांव, गली-गली में भेड़-बकरियां घूमती रहती थी और उन्हें चराने के लिए दूर-दूर जंगलों तक लेकर जाते थे. आपको बता दें कि भेड़-बकरियां शाकाहारी पशुओं में आती हैं, जो सिर्फ़ घास-फ़ूस, अनाज़, हरे-भरे पेड़-पोधों को खाकर अपना जीवन व्यतीत करती है. पहले इनके लिए कोई खास तरीके का चारा नहीं होता था. सामन्य रूप से जंगलों में घास, पेड़-पौधों को खाकर ही इंसानों के लिए मांस और दूध की पूर्ती करती रही है.

जब से भारत देश का शहरीकरण बढ़ा है और जंगलों को काट दिया गया है, तब से जंगली जानवरों की संख्या में तो कमी आई ही है, बल्कि इसके साथ ही भेड़-बकरी पालन का चलन भी कम हो गया है. गांव- शहर हर जगह लोग पढ़ने और बाहर नौकरी करने में अपनी दिलचस्पी रखने लग गए हैं. इसके चलते लोगों ने भेड़-बकरी पालन कम कर दिया है. अब भारत के सिर्फ़ उन इलाकों में ही भेड़-बकरी पालन ज़्यादातर होता है, जहां आज भी लोग रोज़गार की कमी से जूझ रहे हैं.

लेकिन, जैसे ही सोशल मीडिया ने अपने पैर पसारने शुरू किए, वैसे ही कई तरह के व्यापार में चार चांद लग गए. देखते-देखते ही कई गांव और पशुओं संबंधी, खेती संबंधी लघु उधोग में तेज़ी आना शुरू हो गई. अब लोगों ने यह भांप लिया है कि भेड़-बकरी के पालन में भी सही तरीके से टेक्नॉलोज़ी का इस्तेमाल करके इस व्यापार में अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है. जैसे-जैसे टेक्नॉलोजी में बढ़ोतरी हुई है, वैसे-वैसे लोगों ने इस व्यापार में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी. अब इस व्यापार में न सिर्फ़ भारत में बढ़ोतरी हुई बल्कि दूसरे देशों में भी तेज़ी आई है.

सबसे पहले हम आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी दे दें कि भेड़ एक अलग प्रकार की प्रजाति है और बकरी अलग प्रकार की. हम भेड़-बकरी का इस्तेमाल एक साथ हिंदी व्याकरण के द्वंद समास के तहत करते हैं, जिसका विग्रह करने पर हम इन्हें अलग-अलग शब्द के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे, भेड़ और बकरी.

भेड़ और बकरी का एक युग्म शब्द के तौर पर इस्तेमाल करना लोगों को इसलिए भी सही लगता है, क्योंकि इन दोनों प्रजातियों की आदतें और जीवन-शैली एक जैसी मिलती-जुलती हैं. दोनों ही शांत स्वभाव की प्रकृति के हैं और दोनों ही शाकाहारी हैं.

तो चलिए सबसे पहले बकरी पालन के बारे में बात करते हैं- 

भारत में बकरी पालन व्यवसाय इन दिनों काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है. भारत में बकरे के मांस का मुख्य तौर पर मशहूर है. बकरे का मांस न सिर्फ़ भारत में बल्कि विदेशों में भी सर्वाधिक पसंद किया जाता है. मगर, एक दशक से इसकी घरेलू मांग बहुत ज़्यादा बढ़ी है. बेहतरीन आर्थिक संभावनों की वजह से भी बकरी पालन बहुत लाभदायक व्यवसाय है. इसलिए, इस कारोबार की लोकप्रियता भारत में तेज़ी से बढ़ रही है.
बकरी पालन कम लागत और सामान्य देख-रेख में गरीब, भूमिहीन किसानों और खेतिहर मज़दूरों के लिए हमेशा से जीविकोपार्जन का एक साधन रहा है.
खास तौर पर, भारत के पर्वतीय, अर्ध-शुष्क, और शुष्क क्षेत्रों में बकरी पालन ज़्यादा देखने को मिलता है. देश में कुल पशुधन में 25 प्रतिशत से ज़्यादा बकरियां शामिल है.
बाज़ार में बढ़ती मांग और ज़्यादा लाभ के लिए कई प्रगतिशील किसान, शिक्षित लोग, उधोगपति, व्यापारी, और बड़ी-बड़ी कंपनियां बिज़नेस के तौर पर बकरी पालन उधोग की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
मांस उत्पादन के साथ-साथ बकरियां, दूध, फ़ाइबर (पसमीना और मोहेर) और चमड़ा उत्पादन के लिए भी उपयोगी हैं. बकरियां उच्च गुणवत्ता वाली खाद का उत्पादन भी करती हैं, जो खेती की उर्वरक शक्ति बढ़ाकर फसल उत्पादन बढ़ाने में मदद करती है.

बकरी पालन करने की सही जगह 
वैसे तो बकरी पालन के लिए लगभग सभी तरह के क्षेत्र सही होते हैं. घर के पास ही बकरी पालन के लिए जगह का चयन कर सकते हैं या एक ऐसी जगह का चयन कर सकते हैं, जिसमें सफल तरीके से बकरी पालन व्यवसाय के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हो. बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए जगह चुनते समय नीचे दी गई चीज़ों पर गौर करें. बकरी रखने की जगह लोकल भाषा में बाड़ा कहते हैं. सामान्यत यह शब्द भेड़ और बकरियां दोनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आप चाहे शहर में बकरी पालन करें या गांव में इसके लिए आपको ऐसी जगह चुननी पडे़गी जहां ताज़ा और साफ़ पानी उपलब्ध हो. जहां चारा बनाने के लिए लंबी-चौड़ी जगह हो, जिससे दाने की लागत को कम करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है.
इसके साथ ही आपको सुनिश्चिचित करना होगा कि ज़रूरी सामानों और दवाओं को खरीदने के लिए आपके चुने हुए क्षेत्र के पास एक सही बाज़ार है.
बकरी उत्पादों की ज़्यादा मांग वाले सही बाज़ार चयनित क्षेत्र के पास उपलब्ध हो. गांव क्षेत्र में भूमि का चयन करे, क्योंकि गांव क्षेत्रों में सस्ते दर के भीतर भूमि और मजदूर आसानी से मिल सकते है.
सुनिश्चित करें, इस क्षेत्र में हर तरह की पशु चिकित्सा सेवा की उपलब्धता हो.

भारत में कई तरह की बकरी की नस्लें मौजूद हैं. मगर, सभी बकरियां व्यवासायिक उत्पादन के लिए सही नहीं है. कुछ नस्ल दूध देने वाली ज़्यादा पाई जाती हैं, जो व्यसायिक बकरी पालन के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं,

बकरी की नस्लें
जमुनापारी बकरी, सिरोही बकरी, ब्लैक बंगाल बकरी, बीटल बकरी, सार्नेन बकरी, बोअर बकरी मौजूद है.

भारत में ज़्यादातर नस्ल की बकरियों को किसी भी वातावरण में ढलने की अद्भुत क्षमता होती है, चाहे फिर गर्मी हो या ठंड या बारिश हो. बकरियां अन्य बड़े पशुओं के मुकाबले दिखने में बेहद छोटी होती हैं, लेकिन ये परिपक्व बहुत जल्द हो जाती हैं.

बकरी पालन के लाभ- 

छोटी सी दिखने वाली और घास -फ़ूस, अनाज, हरी सब्ज़ियां खाकर अपना जीवन व्यतीत करने वाली बकरी का लालन-पालन बहुत ही सस्ता या न के बराबर होता है. जहां जीवित बकरियों का खूब उपयोग किया जाता है, वहीं इनके मरने के बाद भी कई तरह से उपयोगी होती हैं.
जब बकरियां जीवित रहती हैं, तब लोग इनका मांस खाने में भी उपयोग लेते हैं और इनका दूध भी पीया जाता है. साथ ही, आपको बता दें कि बकरी का दूध चिकित्सिक तौर पर कई बिमारियों में बहुत लाभकारी होता है. बकरी के दूध का सबसे ज़्यादा उपयोग डेंगू की बीमारी को ठीक करने के लिए किया जाता है. बकरी के बालों से फ़ाइबर बनाया जाता है. जब बकरियां मर जाती हैं, तब इनकी खाल का उपयोग कई प्रकार के वाध यंत्र बनाने में, साज़-सज़ावट की चीज़ों के लिए किया जाता है. जैसे कि हमनें ऊपर बकरियों की कई प्रकार की नस्लों का ज़िक्र किया है,तो आपको यहां हम एक खास बात बताते हैं कि बकरी पालने का सबसे बड़ा फ़ायदा बड़े स्तर पर बिज़नेस में मिलता है. कई ऐसी नस्ल वाली बकरियां होती हैं जो साल में दो बार बच्चे देती हैं और हर बार 2 से 3 बच्चे तक जन्म देती हैं. इस तरह से आपके व्यापार के जल्द से जल्द बढ़ने की संभवानाएं अधिक होती है.

भेड़ का पालन
भेड़ एक बहुत सामाजिक, घरेलू और शांत पशु है, जिससे बहुमूल्य दुग्ध और मांस-संबंधी प्रोडक्ट का उत्पादन होता है। साथ ही, अनचाहे पौधों, खरपतवार को प्रभावी रूप से नियंत्रित करते हुए, मुर्गियों, घोड़ों, बकरियों आदि के साथ आराम से रह सकती है। आमतौर पर, बकरियों की तुलना में भेड़ कम मात्रा और उच्च वसा वाला दूध देती है, लेकिन दुनिया भर में भेड़ के दूध से बने प्रोडक्ट को बहुत भारी मात्रा में पसंद करते हैं और इस्तेमाल करते हैं. हाल ही में, अमेरिका में भेड़ के दूध उद्योग में काफी तेज़ी से बढ़ोतरी देखी गयी है, वहीं यूरोप में ऐसे प्रोडक्ट पहले से बनाए जाते थे.
अगर आपके पास ज़मीन, समय, और ऊर्जा ये तीन चीज़ें उपलब्ध हैं, तो आप अपने स्थान पर अपनी खुद की भेड़ें पालकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. अगर आपके पास 12 से 15 भेड़ों के लिए 1 हेक्टेयर यानि कि 2.47 एकड़ क्षेत्र का खेत है और आपके खेत में हर साल 9 महीने तक उन्हें खिलाने के लिए आहार का कम से कम 70 प्रतिशत चारा उगता है, तो आप चारे और घास पर आधारित भेड़ पालन का लाभ उठा सकते हैं.

अच्छे और बड़े पैमाने पर भेड़ पालन करने से,  बेहतरीन दूध उत्पादन, मांस, और ऊन का एक बड़ा स्त्रोत कमाई का हो सकता है. 3 से 4 साल तक लगातार भेड़ पालन करने से आप इसके विशेषज्ञ बन जाते हैं. लेकिन, आपके पास मांस और दूध को मुनाफ़ेदार तरीके से बेचने के लिए एक बड़ा बाज़ार होना चाहिए. इसके बाद, अपने मवेशियों की संख्या बढ़ाकर इसे पेशेवर तरीके से गांव-गांव, शहर-शहर और देश भर में उधोग बढ़ा सकते हैं.

भेड़ों का बाड़ा

  • भेड़ों को रखने का तरीका
    जैसा कि सभी मवेशी गतिविधियों में होता है, हम अपने पशुओं के आने से पहले उनके रहने के लिए स्थान बनाने की शुरुआत करते हैं। हमें उन्हें रखने का स्थान, घास वाले क्षेत्र और अच्छे मेड़ की ज़रूरत होती है.
    भेड़ एक ऐसा पशु है जिन्हें ज़मीन खोदना बिल्कुल भी पसंद नहीं होता है. इन्हें इनके आस-पास बनाई गई मेड़ों को तोड़ना और बाहर भागना पसंद होता है. हालांकि, बकरियों की तरह मजबूत तरीके से भेड़ें भाग नहीं पाती हैं. भेड़ों को घूमने के लिए मेड़ों पर चढ़ना और कूदना-फ़ांदना पसंद होता है. कभी अपनी भेड़ों पर गौर करना ये कभी भी आपको छोड़कर भागने की कोशिश नहीं करेंगी. अगर इन्हें किसी बड़े खतरे का आभास होता है,तो उस परिस्थिति में ये अपने आपको बचाने के लिए झुंड से दूर भागती है. भेड़ें, बकरियों की तुलना में सीधी और आज्ञाकारी होती हैं. अगर इन्हें आप टहलने के लिए या घास चरने के लिए सही जगह दिखा देते हैं, तो ये दैनिक रूप से वहां आ-जा सकती है.  ज़्यादातर, जंगली जानवर या खूंखार कुत्ते तक भेड़ों का शिकार जल्दी करते हैं, इसलिए इनका ध्यान पूरे तरीके से रखा जाता है. लोमड़ी, भेड़िये, सियार, और कई जानवर भेड़ों को चुपके से दबे पांव दबोच लेते हैं और भेड़ें अपने-आप को बचा नहीं पाती हैं और न ही चिल्ला सकती हैं. इनकी आवाज़ और गतिविधी काफ़ी धीमे रूप से बाहर आती है. इनका शिकार होने के दौरान काफ़ी लोगों को पता नहीं लग पाता है. जिसका ख़ामियाज़ा अधिकतर भेड़ पालने वाले लोगों को भुगतना पड़ता है. इसलिए, इनके एक मजबूत मेड़ की आवश्यकता होती है. इनके रहने की मेड़ कम से कम 5 से 6 फ़ीट ऊंचा होना चाहिए. इन मवेशियों के लिए, एक खास पैनल के साथ इलेक्ट्रिक मेड़ भी बाज़ार में मिलते हैं. इससे, खूंखार जानवरों से इन भेड़ों को बचाया जा सकता है.
    इनके बाड़ा सूखा, हवादार, और साफ़-सूथरा होना चाहिए. भेड़ पालने वाले लोगों को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि एक बाड़े में भेड़ों की ज़्यादा भीड़ न हो. भेडों के लिए सूखी घास ज़मीन पर डालकर रखनी चाहिए, ताकि उनका मूत्र और अपशिष्ट पदार्थ सूखी घास में लिपटकर एक बेहतरीन खाद के रूप में निर्माण हो सके.
  • भेड़ों को चुनने का तरीका-
    जिन लोगों के पास भेड़ पालने का अधिक अनुभव नहीं होता है वे लोग शुरुआत में एक बड़ी गलती करते हैं. अगर आपके पास मादा भेड़ें हैं और आप सिर्फ़ नर भेड़ खरीदने के लिए जा रहे हैं, तो भी आप गलती कर रहे हैं. और अगर आपके पास नर भेड़ें हैं और आप सिर्फ़ मादा भेड़ खरीदने के लिए जा रहे हैं, तो भी आप एक बड़ी गलती कर रहे हैं. ययों से बहुत करीब से जुड़ी होती हैं. इसलिए, कम से कम 3 से 4 भेड़ों को एक साथ खरीदना चाहिए. ह हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि भेड़ें़ं झुंड में रहने वाली सामाजिक पशु है और ये अपने साथिएक भेड़ लगभग 11 से 13 साल तक जीवित रहती हैं और जब ये 7 से 9 महीने की होती हैं, तब से ही बच्चे पैदा करना शुरू कर देती है.
    आपका भेड़ पालने का उद्देश्य किस दिशा में हैं, पहले आपको यह तय करना चाहिए. इसके बाद, कई ज़रूरतों और अनुभव के आधार पर कई नस्लें होती हैं, जिन्हें आप अपने बिज़नेस की रणनीति के हिसाब से चुन सकते हैं. सबसे पहले आपको यह जानना चाहिए कि आपको भेड़ दूध के बिज़नेस के लिए चाहिए या मांस के लिए.  दूध के लिए, पूर्वी फ़्राइज़ियन, लाइकन, और असफ़ दूध देने वाली भेड़ों की लोकप्रिय नस्लें हैं. इसके साथ ही, डोर्सेट और सफ़ोल्क को मांस के लिए सबसे अच्छी नस्ल होती है.

भेड़ों का भोजन –

  • दूध और मांस वाली भेड़ों का पोषण करने का तरीका

जब हमने इस विषय की शुरुआत की थी, तब ऊपर ही ज़िक्र किया गया था कि भेड़ें शाकाहारी भोजन करती हैं. इसमें, भेड़ें घास चरती हैं और इन्हें ज़मीन की सतह के बिल्कुल सटे छोटे और आसान तरीके से घास खाना पसंद होता है. घास में सिर्फ़ सामान्य घास न होकर इसमें दूब, अल्फ़ाल्फ़ा, कासनी, फ़लियां, छोटी झाड़ियां वगैरहा शामिल होती हैं.
पहले के जमाने में भेड़ पालक अपने मवेशियों को पूरी तरह से घास, साबुत मक्के और अनाज़ से कटा चारे पर निर्भर रखते थे. उस वक्त उनकी भेड़ें दिन में कम से कम 7 से 8 घंटे चरती थीं. और इसके बाद वे लोग अपनी भेड़ों को साबुत मक्के और अनाज़ वाला चारा कम मात्रा में देते थे. हालांकि, आज व्यवासयिक हिसाब से, भेड़ों का अधिक मात्रा में दूध और अत्यधिक मांस के लिए उन्हें व्यवसायिक चारा दिया जाने लगा है. इस व्यवसायिक चारे में अच्छी नस्ल का अनाज़, बीज़ और कुछ दवाईयां उपयोग में ली जाती है. भेड़ पालने का एक नियम यह भी कहता है कि जिन भेड़ों को मांस के लिए रखा जाता है वे सिर्फ़ घास-फ़ूस और थोड़े से अनाज़ पर निर्भर रह सकती है. लेकिन, दूध देने वाली या गर्भवती भेड़ों के आहार में ज़्यादातर व्यवसायिक चारा इस्तेमाल किया जाता है. आपको बता दें कि जंगली और पालतू दोनों तरह की भेड़ें अनाज़ खाती हैं.
जब हम व्यवसायिक चारे की बात कर रहे हैं, तो कुछ लोकप्रिय चारे हैं, जिसमें 20 प्रतिशत प्रोटीन होता है. इन प्रोटीनों में संतुलित एमिनो एसिड होता है, जो मांसपेशियों की वृद्धि और विकास के लिए ज़रूरी होता है. भेड़ के व्यवसायिक चारे से संबंधित एक बात ध्यान योग्य है कि इनके चारे को किसी अन्य जानवरों को न दिया जाए, जिसमें खासकर घोड़े शामिल हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि घोड़े की जूठन भेड़ों के लिए विषैले हो सकती है. कई लोग भेड़ के आहार में नमक के टुकड़े भी शामिल करते हैं.
कई बार लोग जगह की कमी होने की वजह से भेड़ और बकरी को एक साथ एक ही बाड़े में रख देते हैं और उन्हें बाहरी रूप से बाहर भी कम निकालते हैं. इस वजह से भेड़ और बकरी के आपस में संक्रमित हो जाते हैं और भयंकर बीमारी से ग्रस्त होकर मर जाते हैं. उन्हें एक साथ झुंड में चराया जा सकता है, लेकिन 24 घंटे उन्हें एक ही स्थान पर एक साथ रखना भेड़ और बकरी दोनों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है.

  • भेड़ों का दूध निकालने का समय और तरीका
    जैसे कि हमने बताया कि एक औसत भेड़ 7 से 9 माह की आयु में नर भेड़ के साथ संबंध बना सकती है. भेड़ें 5 महीने तक गर्भवती रहती हैं. अपने मेमने को जन्म देने के बाद, तुरंत दुथ देना शुरू कर देती है. मगर, चिकित्सक नियमों के मुताबिक, मां बनते ही भेड़ों का दूध 1 से 2 हफ़्ते तक नहीं निकालना चाहिए. इसके लिए अपने नस्ल की भेड़ों वाले चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए. इसके पीछे कारण यह है कि नवजात मेमने को अपने माँ के दूध के बेहद आवश्यकता होती है. खासकर उसे 36 घंटो तक भेड़ का दूध पीना ज़रूरी है. दो हफ़्ते बाद, भेड़ को उसके बच्चे दूर कर व्यापार के लिए दूध दुहा जाता है. और उसके बच्चों को अन्य सामान्य हल्के आहार दिए जाते हैं. भेड़ के बच्चे होने के बाद, लगभग 4 से 8 महीने तक रोज़ाना सुबह और शाम दूध देती है. हमें ऐसे जानवरों का दूध एक दिन में दो बार ही निकालना चाहिए, एक से ज़्यादा बार निकालने पर उनका स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है. मांस की नस्ल वाली भेड़ें दूध देने वाली नस्ल के मुकाबले कम समय तक दूध देती है. हाथ से दूध निकालने पर सफ़ाई का ध्यान रखा जाना चाहिए, अगर वहीं आप मशीनों से दूध निकालते हैं, तो चिकित्सक परामर्श लेते रहना चाहिए.  अक्सर, भेड़ का दूध निकालने के बाद भेड़ों के शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इसलिए हमें दूध निकालने के बाद उन्हें ताज़ा पानी और खाने के लिए घास ज़रूर देना चाहिए.

    भेड़ों के सेहत की देखभाल करने का तरीका
    कई बार, काफ़ी भेड़ें कई तरह के कीड़ों और परजीवियों से ग्रस्त हो जाती है, जिसके चलते उनके स्वास्थ्य पर गहरा घातक असर होता है. इसलिए, भेड़ पालक को अपनी भेड़ों के कीड़े निकालने के लिए कई तरह के प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं या पशु चिकित्सक से इन कीड़ों को उनके शरीर से बाहर निकलवाते हैं. भेड़ों के स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए, पशु चिकित्सक से सलाह लेने के बाद अपनी भेड़ों को साल में एक बार टीका ज़रूर लगवाना चाहिए. इस टीके से, भेड़ों में ज़्यादा मात्रा में खाने, क्लॉस्ट्रीडियम और अन्य बिमारियों से लड़ने की क्षमता पैदा होती है. इसके अलावा, हमें नियमित रूप से अपनी भेड़ों के स्वास्थ्य का निरीक्षण करना चाहिए. भेड़ों के पैरों जिसे खुर कहते हैं उनके नाखून काटते रहने चाहिए और उनकी पूंछ को पीछे से काटते रहना चाहिए, ताकि उनके खुद के मूत्र और मल से शरीर पर गंदगी ना फ़ैले और मक्खियां, मच्छर या विषैले कीड़े उनके शरीर से दूर रहें. समय- समय पर उनके शरीर से बाल निकाल लेना चाहिए, जिससे ऊन बनाई जाती है. वैसे तो व्यवसायिक तौर पर लोग भेड़ के शरीर से बाल ऊन की बिक्री बढ़ाने के लिए काटते रहते हैं.

    भेड़ों के मल-मूत्र से खाद उत्पादन करने का तरीका
    जब हम भेड़ के रहने की जगह को साफ़ करते हैं, हमें तब भी इसका फ़ायदा मिलता है. भेड़ के बाड़े से रोज़ाना अपशिष्ट पदार्थों और मल-मूत्र को बाहर निकालना चाहिए. इससे एक तो भेड़ के स्वास्थ्य पर मक्खियों और कीड़े का दूषित प्रभाव नहीं पड़ता और दूसरा उन्हें शुद्ध हवा मिलती है.
    इन अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग ऑर्गेनिक खेती के लिए किया जाता है. इसमें अच्छी तरह से सड़ा हुआ भेड़ का अपशिष्ट बेहतरीन खाद का काम करता है. बूढ़ी भेड़ों के अपशिष्ट को फसलों के लिए औसत गाय के गोबर से कहीं ज्यादा लाभदायक माना जाता है, लेकिन यह पशु के आहार पर भी निर्भर करता है. किसानों को उन तरीकों का पता लगाना चाहिए जिससे वे भेड़ों के अपशिष्ट का लाभ उठा सकते हैं.  वे इसे अपनी फसलों के लिए खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं, इसे स्थानीय किसान संघ को दान कर सकते हैं या स्थानीय व्यापारी को बेच सकते हैं. एक भेड़ के माध्यम से पैदा होने वाली अपशिष्ट की मात्रा को कम ना आंका जाना चाहिए. ऐसा अनुमान लगाया गया है कि एक वयस्क भेड़ का कुल वार्षिक अपशिष्ट, जिसमें उनका गोबर, आहार, घास और अन्य शामिल हैं. ये अन्य  खाद पदार्थो से ज़्यादा हो सकता है.

    भेड़ पालन के लाभ
    अगर भेड़ पालन बिज़नेस काफ़ी बड़े स्तर पर किया जाएं, निश्चित तौर पर काफ़ी लाभदायक हो सकता है. दुनिया भर में लाखों लोग भेड़ पालने से अपनी आजीविका चलाते हैं और काफ़ी अधिक मात्रा में मोटा मुनाफ़ा कमाते हैं. वैसे तो अगर आप भेड़ पालन के कारोबार में नए हैं, तो पहले साल इससे मुनाफ़े की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. हालांकि, अगर आपने एक बार 3 से 4 भेड़ों को पालना शुरू कर दिया, तो आपको दूध से लाभ तो कमाएंगे साथ ही साथ हर छ महीने में आपके मवेशियों की संख्या में बढ़ोतरी भी होती रहेगी. मगर, ध्यान रहें आपके भेड़ पालन के शुरू में ही नर और मादा दोनों की संख्या बराबर रखनी होगी.
    अगर आपके पास ज़्यादा पैसे नहीं है या बहुत गरीब हैं और आपके पास सिर्फ़ गिनती की 2 से 3 भेड़ें हैं, तो आप अपने क्षेत्र के आस-पास के भेड़ पालक से संपर्क कर सकते हैं. और उन भेड़ पालकों से उनके झुंड को आप दिन की दिहाड़ी या महीने की तनख्वाह पर जंगलों में ले जाकर चारा खिलाकर ला सकते हैं. और उनकी देखभाल कर सकते हैं. इस तरह अगर आपके पास एक या दो भेड़ है, तो आप उन झुंड के ज़रिए अपनी मादा भेड़ को गर्भवती करा सकते हैं. इससे, धीरे -धीरे आपके भेड़ पालन में भी बढ़ोतरी हो पाएगी. और 60 से 70 भेड़ों को एक साथ मैनेज करना भी सीख पाएंगे.
    भेड़ का दूध, बाज़ार में सामान्य दूध से काफ़ी महंगा और लाभकारी होता है. इनके खरीदार अधिक मात्रा में होते हैं, लेकिन बेचने वाले कम होते हैं.
    भेड़ के दूध से बने प्रोडक्ट की डिमांड विदेशों में ज़्यादा होती है, ख़ासकर ठंडे इलाकों में भेड़ के दूध और दूध से बने प्रोडक्ट को सबसे ज़्यादा अहमियत दी जाती है. जिन देश में हमेशा ठंडे इलाके होते हैं, वहां भेड़ की ऊन, मांस, चिकित्सक संबंधी चीज़ों का भारी मात्रा में मांग होती है. विदेशों में भेड़ पालन अधिक मात्रा में फ़ैला हुआ है बजाए भारत के. हालांकि, भारत के कई ठंडे या पहाड़ी इलाकों में भी भेड़ पालन किया जाता था. मगर, अब नई टेक्नॉलोज़ी से जुड़कर कई युवाएं भेड़ पालन के लिए आगे आ रहे हैं और भेड़ पालन के उधोग पर पंख लगा रहे हैं.
    भेड़ पालन में इनको खरीदना, रखना, इनके भोजन, दूध निकालने के संसाधन और दवाओं पर सबसे ज़्यादा लागत आती है. अगर जिन लोगों को एक बड़े स्तर पर इस उधोग को शुरू करना है, तो उन्हें एक सही मार्गदर्शन के साथ इस कारोबार में उतरना चाहिए. पशुओं से संबंधित शिक्षा से लेकर, नई टेक्नॉलोज़ी के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि भेड़ों के मांस को काटने और बेचने के लिए और उनके दूध को स्टोर करने और बेचने के लिए बड़े-बड़े गोदामों और स्थानों की ज़रूरत होती है. इसलिए, सरकार के नियमों के तहत इस व्यापार पर काम करना चाहिए. कई देशों में भेड़ पालने के बहुत ज़्यादा कठोर नियम होते हैं. इसलिए ज़्यादातर भेड़ पालक ये कारोबार बाहरी देशों से करना पंसद करते हैं.

    अगर आपको इस डॉक्यूमेंट्री के ज़रिए भेड़-बकरी पालन के लिए जानकारी मिली है, तो प्लीज़ हमारे वीडियो को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें, ताकि यह भेड़-बकरी पालन करने वाले लोगों तक पहुंच सकें और इस जानकारी के माध्यम से अपने व्यापार में मोटा मुनाफ़ा कमा सकें.

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